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KAMBAKHT (Vishal Saxena Urf Panauti Book 6) (Hindi Edition) Kindle Edition
- Kindle Edition
₹0.00 This title and over 1 million more available with Kindle Unlimited ₹99.00 to buy - Paperback
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इंस्पेक्टर सतपाल सिंह के सामने अब सबसे पहला सवाल ये था कि बंद कमरे में कत्ल हुआ तो आखिर हुआ कैसे? अभी जांच शुरू ही हुई थी कि विशाल सक्सेना जैसे जादू के जोर से घटना स्थल पर पहुंच गया। आगे पनौती और सतपाल की जुगलबंदी ने ऐसा कहर ढाया कि कई लोग अर्श से फर्श पर जा गिरे।
- LanguageHindi
- Publication date9 December 2021
- File size688 KB
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Click here to browse eBooks by Surendra Mohan Pathak, Munshi Premchand, Devdutt Pattanaik, Harivansh Rai Bachchan and more authors.Popular titles by this author
Product details
- ASIN : B09NDKR6BB
- Publisher : THRILL WORLD (9 December 2021)
- Language : Hindi
- File size : 688 KB
- Simultaneous device usage : Unlimited
- Text-to-Speech : Enabled
- Screen Reader : Supported
- Enhanced typesetting : Enabled
- Word Wise : Not Enabled
- Print length : 258 pages
- Best Sellers Rank: #15,663 in Kindle Store (See Top 100 in Kindle Store)
- #1,497 in Crime, Thriller & Mystery (Kindle Store)
- #2,272 in Crime, Thriller & Mystery (Books)
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About the author

लेखक सन्तोष पाठक का जन्म 19 जुलाई 1978 को, उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के बेटाबर खूर्द गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ। प्रारम्भिक शिक्षा गांव से पूरी करने के बाद वर्ष 1987 में आप अपने पिता श्री ओमप्रकाश पाठक और माता श्रीमती उर्मिला पाठक के साथ दिल्ली चले गये। जहां से आपने उच्च शिक्षा हासिल की। आपकी पहली रचना वर्ष 1998 में मशहूर हिन्दी अखबार नवभारत टाईम्स में प्रकाशित हुई, जिसके बाद आपने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वर्ष 2004 में आपको हिन्दी अकादमी द्वारा उत्कृष्ट लेखन के लिए पुरस्कृत किया गया। आपने सच्चे किस्से, सस्पेंस कहानियां, मनोरम कहानियां इत्यादि पत्रिकाओं तथा शैक्षिक किताबों का सालों तक सम्पादन किया है। आपने हिन्दी अखबारों के लिए न्यूज रिपोर्टिंग करने के अलावा सैकड़ों की तादाद में सत्यकथाएं तथा फिक्शन लिखे हैं।
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एक उपन्यास में पढ़ने वाले को क्या चाहिए होता है
एक शानदार कहानी,उसे कहने का शानदार अंदाज ओर उससे थोड़ा ज्यादा उपन्यास के पात्र जिन्हें लोग खुद से कनेक्ट कर सकें मुझे लगता है अगर उपन्यास में ये खूबियां हो तो वो लोगों को पसन्द आएगा ही आएगा
कमबख्त एक ऐसा ही उपन्यास है जहाँ आपको थ्रिल,रोमांच,रोमांस,ओर रिश्तों की कई अजीब ओर धुंधली सच्चाइयों को बहुत करीब से देखने का मौका मिलेगा
जहाँ एक पाले में है कानून के रखवाले ओर उनके साथ कदम से कदम मिलाकर कदमताल करता हूँ विशाल सक्सेना उर्फ पनोती तो दूसरी ओर है न्याय ,कानून और सच्चाई को गुजरे जमाने की खोखली बाते मानने वाले कुछ लोग
कौन जीता कौन हारा ये तो आपको उपन्यास पढ़कर ही पता चलेगा
लेकिन हर बार की तरह इस बार भी सतपाल ओर विशाल की जुगलबंदी का ढाया हुआ कहर एक ओर पायदान ऊपर जा चुका है
क्लाइमेक्स में जो कुछ घटित हुआ वो आपको रोमांचित करने के लिए काफी होगा
बाकी उपन्यास एन वाह वाह है बिल्कुल पनोती स्टाइल का
जिसके लिए में संतोष पाठक सर को पनोती के इस कारनामे के लिए ढेर सारी बधाइयां देता हूँ और आशा करता हूँ की अगले उपन्यास के लिए हमे ज्यादा इंतजार नही करवाएंगे🙏🏻🙏🏻
धर्मेंद्र त्यागी
हालांकि हंस के कातिल का सुराग लेखक ने पहले ही दे दिया था इसीलिए वो साधारण सी बात भी आखिरी तक खटकती रही लेकिन कहानी के अंत दिमाग को उलझा कर रख दिया ।
पनौती का लास्ट एक्शन शानदार रहा लेकिन मुझे लगता है कि अंत कुछ ज्यादा जल्दबाजी में किया गया है।
सन्तोष पाठक के हर उपन्यास को सबसे पहले पढ़ने की होड़(हमारा एक ग्रुप है 'यूनिक फैमिली' का) हमारे ग्रुप वालो में लगा रहता है और जब पढ़ने के बाद अगले उपन्यास के आने तक उसी की चर्चा भी चलती रहती है।
विशाल सक्सेना उर्फ पनौती अपने निडर अंदाज के कारण हमारे ग्रुप में फेमस है,आशा करते है कि पनौती ऐसे ही अपना जलवा कायम रखेगा।
उपन्यास दमदार है पढ़ने में मजा आया।
आज 12 दिस्मबर को 1.26 सुबह कमबख्त उपन्यास समाप्त किया है। आपने एक बार फिर से साबित कर दिया है कि आप पुलिस की कार्रवाई और वसीयत के प्रावधानों के बारे में जानकारी रखते हैं । उपन्यास में एक या दो जगहों पर संदिग्धों के सामने सतपाल और पनौती के डायलोग नाटकीय लगें परन्तु कुल मिलाकर यह एक मनोरंजक उपन्यास है।
स्वाहा सीरीज के उपन्यासों के बारे में सिर्फ दो शब्द कि अभी कथानक पूरा नहीं हुआ है और अभी कई प्रश्न अनुत्तरित हैं। निवेदन है कि इसे आगे बढ़ाने का विचार करें।
धन्यवाद
आपका
बिपन कुमार
नई दिल्ली