Book is so nicely written once you start reading it there's no way putting it down without heavy heart.
Satya vyas just makes you feel every word and line in this book.
About the product :
i was a little disappointed with the cover coz I recieved it damaged on the back side .
Apart from that amazing page quality, print is too good.
Over all worth the money, every panny .
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Chaurasi/चौरासी/84 (Hindi Edition) Kindle Edition
- Kindle Edition
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₹177.00
‘चौरासी’ नामक यह उपन्यास सन 1984 के सिख दंगों से प्रभावित एक प्रेम कहानी है। यह कथा नायक ऋषि के एक सिख परिवार को दंगों से बचाते हुए स्वयं दंगाई हो जाने की कहानी है। यह अमानवीय मूल्यों पर मानवीय मूल्यों के विजय की कहानी है। यह टूटती परिस्थियों मे भी प्रेम के जीवित रहने की कहानी है। यह उस शहर की व्यथा भी है जो दंगों के कारण विस्थापन का दर्द सीने में लिए रहती है। यह वक़्त का एक दस्तावेज़ है।
- LanguageHindi
- PublishereHindYugm
- Publication date19 October 2018
- File size1212 KB
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Product description
About the Author
सत्य व्यास विगत वर्षों में हिंदी के उदीयमान लेखक के रूप में उभरे हैं। सत्य व्यास ने हिंदी में एक नया पाठक वर्ग तैयार कर इस धारणा को गलत साबित किया है कि हिंदी में पाठकों की कमी है। सत्य व्यास की पिछली दोनों किताबें ‘बनारस टॉकीज’ और ‘दिल्ली दरबार’ दैनिक जागरण-नीलशन बेस्टसेलर रही हैं और जिनपर फ़िल्में निर्माणाधीन हैं। ‘चौरासी’ सत्य व्यास की तीसरी किताब है। --This text refers to the paperback edition.
Product details
- ASIN : B07HPD68CM
- Publisher : eHindYugm (19 October 2018)
- Language : Hindi
- File size : 1212 KB
- Text-to-Speech : Enabled
- Screen Reader : Supported
- Enhanced typesetting : Enabled
- Word Wise : Not Enabled
- Print length : 133 pages
- Best Sellers Rank: #15,085 in Kindle Store (See Top 100 in Kindle Store)
- #292 in Historical Romance (Kindle Store)
- #344 in Historical Romance (Books)
- #526 in Historical Fiction (Kindle Store)
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Reviewed in India 🇮🇳 on 20 July 2022
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Apart from that amazing page quality, print is too good.
Over all worth the money, every panny .
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Reviewed in India 🇮🇳 on 29 July 2022
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Padhte padhte rona pyar hona or inshan hona sab samjh aata hai jo jiye honge wo unka dard ek baar me khtm krne wali book
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Reviewed in India 🇮🇳 on 23 October 2018
Verified Purchase
बहुत इंतज़ार के बाद आई है #चौरासी
एक साँस में खत्म करने का इरादा है....चलिए शुरू करते है...हार्डकॉपी तक पहुँच नहीं पाया सो #किंडल पे ही...
#सत्य_व्यास
#amazon_kindle
दिल को छू लेने वाली किताब है #चौरासी, जैसे जैसे आप पढ़ते जाएंगे वैसे वैसे किताब आपको #मनु और #ऋषि की प्रेम कहानी में सरोबार करती जाएगी.!
लेखक ने बोकारो जैसे शहर में मनु और ऋषि के पनपते प्रेम का जो वर्णन किया है वो दिल को छूता चला जाता है,कुछ वक्त के लिए तो लगा कि जैसे खुद किसी मनु और ऋषि को जानते हो और ये प्रेमकथा आपके आसपास ही कहीं गठित हो रही हो.!!
#सत्य_व्यास जी ने अपने पिछली 2 किताबों से कीर्तिमान खड़ा किया है उस मुकाबले ये किताब थोड़ी कमतर लगी...!!!
कुछ बेहद खूबसूरत लाइने लिखी गई है इस किताब में जो लेखक के समाज और उसमें पनपती कहानियों पर मजबूत पकड़ को बताते है...
#जाम बस एक ही थप्पड़ का मेहमान था फौरन छँट गया!
#ये इतनी बार एकलौते भाई बहन करतें है कि दिमाग का फूफा हो जाता है!
#ऋषि ये जान पाता कि आंखें अंधेरों में भी आवाज से देखती है!
#हिलिये मत कान कट जाएगा!
#रमाकांत ठाकुर ने आज पहली बार जाना कि सिख हिन्दू नही होते!
#हर मुलाकात का अंजाम पढ़ाई क्यों है!
#प्रेम कोई प्रमेय नही है जो निश्चित साँचे में ही सिद्ध होता है प्रेम अपरिमेय है!
#दुनिया का समस्त ज्ञान व्यर्थ है यदि आप एक स्त्री मन को नहीं पढ़ सकते!
#प्रेम का अतिरेक जलने में ही है!
#ऋषि के पास कहने को आकाश भर बातें थी और मनु के पास समंदर भर उत्सुकता!
#मनु पिता और ऋषि को एकसाथ खड़े देखकर ही जुड़ा गई थी!
#व्यापारी था वैसे भी ज्यादा देर तक गलत ख़याल नही पाल सकता था!
#प्रेम हर मजहब का एक अंग है जबकि इसे खुद ही मज़हब होना था!
#मनु नहीं जान पाई कि मूर्खताओं की एक परिणति प्रेम और प्रेम की एक परिणति मूर्खता में है!
#फायदा बटुए में था जिसका नुकसान हो रहा था!
#किताबों से प्रेम होता तो दंगे ही क्यों होते!
#प्रेम दरअसल तरह तरह के आंसुओं का समुच्चय है!
कुल मिलाकर एक बेहत सवेंदनशील हृदय की देन है #चौरासी एक बार जरूर पढ़िए.!
3/5
"रूद्रल काशी"
(रुद्र प्रताप सिंह)
एक साँस में खत्म करने का इरादा है....चलिए शुरू करते है...हार्डकॉपी तक पहुँच नहीं पाया सो #किंडल पे ही...
#सत्य_व्यास
#amazon_kindle
दिल को छू लेने वाली किताब है #चौरासी, जैसे जैसे आप पढ़ते जाएंगे वैसे वैसे किताब आपको #मनु और #ऋषि की प्रेम कहानी में सरोबार करती जाएगी.!
लेखक ने बोकारो जैसे शहर में मनु और ऋषि के पनपते प्रेम का जो वर्णन किया है वो दिल को छूता चला जाता है,कुछ वक्त के लिए तो लगा कि जैसे खुद किसी मनु और ऋषि को जानते हो और ये प्रेमकथा आपके आसपास ही कहीं गठित हो रही हो.!!
#सत्य_व्यास जी ने अपने पिछली 2 किताबों से कीर्तिमान खड़ा किया है उस मुकाबले ये किताब थोड़ी कमतर लगी...!!!
कुछ बेहद खूबसूरत लाइने लिखी गई है इस किताब में जो लेखक के समाज और उसमें पनपती कहानियों पर मजबूत पकड़ को बताते है...
#जाम बस एक ही थप्पड़ का मेहमान था फौरन छँट गया!
#ये इतनी बार एकलौते भाई बहन करतें है कि दिमाग का फूफा हो जाता है!
#ऋषि ये जान पाता कि आंखें अंधेरों में भी आवाज से देखती है!
#हिलिये मत कान कट जाएगा!
#रमाकांत ठाकुर ने आज पहली बार जाना कि सिख हिन्दू नही होते!
#हर मुलाकात का अंजाम पढ़ाई क्यों है!
#प्रेम कोई प्रमेय नही है जो निश्चित साँचे में ही सिद्ध होता है प्रेम अपरिमेय है!
#दुनिया का समस्त ज्ञान व्यर्थ है यदि आप एक स्त्री मन को नहीं पढ़ सकते!
#प्रेम का अतिरेक जलने में ही है!
#ऋषि के पास कहने को आकाश भर बातें थी और मनु के पास समंदर भर उत्सुकता!
#मनु पिता और ऋषि को एकसाथ खड़े देखकर ही जुड़ा गई थी!
#व्यापारी था वैसे भी ज्यादा देर तक गलत ख़याल नही पाल सकता था!
#प्रेम हर मजहब का एक अंग है जबकि इसे खुद ही मज़हब होना था!
#मनु नहीं जान पाई कि मूर्खताओं की एक परिणति प्रेम और प्रेम की एक परिणति मूर्खता में है!
#फायदा बटुए में था जिसका नुकसान हो रहा था!
#किताबों से प्रेम होता तो दंगे ही क्यों होते!
#प्रेम दरअसल तरह तरह के आंसुओं का समुच्चय है!
कुल मिलाकर एक बेहत सवेंदनशील हृदय की देन है #चौरासी एक बार जरूर पढ़िए.!
3/5
"रूद्रल काशी"
(रुद्र प्रताप सिंह)
Reviewed in India 🇮🇳 on 6 January 2019
Verified Purchase
#बनारस_टाॅकीज़ और #दिल्ली_दरबार पर फिल्में निर्माणाधीन हैं !
नया उपन्यास है-- #चौरासी 84
लेखक हैं हमारे विधि संकाय (BHU) के बड़े भैया Satya Vyas जी
भाई साहब पर आरोप था लोगों तक हिंदी को सरल आम बोलचाल की भाषा में पहुंचाने का ; जिसे नई वाली हिंदी (Hinglish) कहा गया !
अपने पहले दो उपन्यास के माध्यम से इन्होंने पाठकों में पढ़ने का चरस बोया; नतीजा ये हुआ की syllabus न छूने वाले लोग भी उपन्यास पढ़ने लगे !
इसी बीच देश के कोने-कोने में भाई साहब साहित्य के विभिन्न आयोजनों में पहुंचे.... मठाधीश लोग पहले से ही बउराये थे इनकी प्रसिद्धि से ...तो किसी भी मंच पर इनको बख्शा नहीं गया !
अब बारी इनकी थी #पटक_के_मारने_की तो #चौरासी में भरपूर विलूप्त पराय शब्दों का इस्तेमाल कर पाठकों पर गुस्सा उतार दिया______
क़िस्सागो;लफ़्फाज़ियां;उच्छृंखल;ग़ुसलख़ाने;सांकल;श़गल;ग्राह्य; उत्कंठा;स्निग्ध;निश्चेष्ट; समुच्चय; मंझोला etc.
पंजाबी भाषा का भरपूर प्रयोग कहानी की मांग थी .....नई वाली हिंदी के लेखक के लिए सही शब्द को सही जगह फिट करने जैसे मुश्किल जिम्मेदारी निभाने में सफल रहने के लिए साधुवाद !
शिर्षक में सार-
सखी री,पियु नहीं जानत प्रेम
मैं कर आई ठीठोल सखी री
सखी री, मोहन रूठे
छूटत है पियु की नगरिया सखी री
लीनी न बालम मोरी सुधियां.....etc.
प्रेम की परिभाषा-
प्रेम दबे पांव सिर चढ़ता है ,
मुस्कुराहटें सीधी याददाश्त में घर बना लेती हैं। उन्हें रट कर ज़ेहन में बिठाना नहीं पड़ता।
प्रेम के मसले दरअसल, प्रेम तक ही सीमित होते हैं।दुनियावी सवालों, सियासती अहवालों और मज़हबी सवालों से प्रेमी अछूते ही रहते हैं। त्रासदी यह है कि प्रेम हर मज़हब का एक अंग है, जबकि इसे ख़ुद ही एक मज़हब होना था ।
औरत - औरत की सबसे बड़ी मुश्किल उसका औरत होना ही है ।
दुनिया का समस्त ज्ञान व्यर्थ है यदि आप एक स्त्री मन को नहीं पढ़ पाते।
लड़की जब अपने सपनों के साथ निकलती है तो सबसे ज़्यादा सुरक्षा अपने सपनों की ही करती है।
विशेष चित्रण के लिए आपको भी #चौरासी के परत दर परत पन्नों को पलटना पड़ेगा!
यह एक अद्वितीय कृति है... जिसे लेखक और प्रकाशक ने रिस्क लेकर पाठकों के बीच प्रस्तुत किया है दोनों बधाई के पात्र हैं!
**** 👌😊💐🙏
नया उपन्यास है-- #चौरासी 84
लेखक हैं हमारे विधि संकाय (BHU) के बड़े भैया Satya Vyas जी
भाई साहब पर आरोप था लोगों तक हिंदी को सरल आम बोलचाल की भाषा में पहुंचाने का ; जिसे नई वाली हिंदी (Hinglish) कहा गया !
अपने पहले दो उपन्यास के माध्यम से इन्होंने पाठकों में पढ़ने का चरस बोया; नतीजा ये हुआ की syllabus न छूने वाले लोग भी उपन्यास पढ़ने लगे !
इसी बीच देश के कोने-कोने में भाई साहब साहित्य के विभिन्न आयोजनों में पहुंचे.... मठाधीश लोग पहले से ही बउराये थे इनकी प्रसिद्धि से ...तो किसी भी मंच पर इनको बख्शा नहीं गया !
अब बारी इनकी थी #पटक_के_मारने_की तो #चौरासी में भरपूर विलूप्त पराय शब्दों का इस्तेमाल कर पाठकों पर गुस्सा उतार दिया______
क़िस्सागो;लफ़्फाज़ियां;उच्छृंखल;ग़ुसलख़ाने;सांकल;श़गल;ग्राह्य; उत्कंठा;स्निग्ध;निश्चेष्ट; समुच्चय; मंझोला etc.
पंजाबी भाषा का भरपूर प्रयोग कहानी की मांग थी .....नई वाली हिंदी के लेखक के लिए सही शब्द को सही जगह फिट करने जैसे मुश्किल जिम्मेदारी निभाने में सफल रहने के लिए साधुवाद !
शिर्षक में सार-
सखी री,पियु नहीं जानत प्रेम
मैं कर आई ठीठोल सखी री
सखी री, मोहन रूठे
छूटत है पियु की नगरिया सखी री
लीनी न बालम मोरी सुधियां.....etc.
प्रेम की परिभाषा-
प्रेम दबे पांव सिर चढ़ता है ,
मुस्कुराहटें सीधी याददाश्त में घर बना लेती हैं। उन्हें रट कर ज़ेहन में बिठाना नहीं पड़ता।
प्रेम के मसले दरअसल, प्रेम तक ही सीमित होते हैं।दुनियावी सवालों, सियासती अहवालों और मज़हबी सवालों से प्रेमी अछूते ही रहते हैं। त्रासदी यह है कि प्रेम हर मज़हब का एक अंग है, जबकि इसे ख़ुद ही एक मज़हब होना था ।
औरत - औरत की सबसे बड़ी मुश्किल उसका औरत होना ही है ।
दुनिया का समस्त ज्ञान व्यर्थ है यदि आप एक स्त्री मन को नहीं पढ़ पाते।
लड़की जब अपने सपनों के साथ निकलती है तो सबसे ज़्यादा सुरक्षा अपने सपनों की ही करती है।
विशेष चित्रण के लिए आपको भी #चौरासी के परत दर परत पन्नों को पलटना पड़ेगा!
यह एक अद्वितीय कृति है... जिसे लेखक और प्रकाशक ने रिस्क लेकर पाठकों के बीच प्रस्तुत किया है दोनों बधाई के पात्र हैं!
**** 👌😊💐🙏
Reviewed in India 🇮🇳 on 24 October 2018
बोकारो मुझे हमेशा से एक शांत और मिलनसार शहर लगा है। में इसके दंगे वाले क्रूर अतीत से अपरिचित था। इसके श्याह अतीत को आपने बखूभी उभरा है। कैसे लोगों का समूह उन्मादी भीड़ में बदल जाता है इसका सजीव वर्णन है। आज टिंडर के जमाने मे वो इशारों और जज़्बातों वाला मनु और ऋषि का आठवें दशक वाला प्यार काफी खूबसूरत और पवित्र सा लग रहा है।
शब्दों की माला को एक खूबसूरत कहानी में पिरोया है आपने। पंजाबी की तो जरूरत थी लेकिन प्रेम की अभिव्यक्ति के लिए कहीं कहीं उर्दू शब्दों का प्रयोग ज्यादा हो गया है। छठ को भी कहानी में खूबसूरती से जोड़ा है आपने। कहानी लिखने में लगी आपके रिसर्च की मेहनत कहानी में दिख गयी। घटनाएं, स्थान, दिन सब सच लग रहे थे।
अच्छी लगे मुझे किताब।
Verified Purchase
बोकारो पे लिखी चौरासी अब जाकर बोकारो पहुँची। प्लांट से घर लौटा तो पाया कि किताब आज डेलिवर्ड हुई है। खाना खाते खाते पढ़ना सुरु किया तो फिर आखिरी पेज पढ़ कर ही चैन आया। पूरी किताब इक फ़िल्म कि तरह आपके दिमाग के पर्दे पर चलने लगती है। लग रहा था जैसे कि इसे फ़िल्म बनाने के लिए ही लिखा गया हो।मुझे तो ऋषि के रूप में विकि कौशल और मनु के रूप में कियारा आडवाणी दिख रहे थे। मध्यांतर से पहले प्रेम की वर्षा और उसके बाद नफ़रत की आँधी।
बोकारो मुझे हमेशा से एक शांत और मिलनसार शहर लगा है। में इसके दंगे वाले क्रूर अतीत से अपरिचित था। इसके श्याह अतीत को आपने बखूभी उभरा है। कैसे लोगों का समूह उन्मादी भीड़ में बदल जाता है इसका सजीव वर्णन है। आज टिंडर के जमाने मे वो इशारों और जज़्बातों वाला मनु और ऋषि का आठवें दशक वाला प्यार काफी खूबसूरत और पवित्र सा लग रहा है।
शब्दों की माला को एक खूबसूरत कहानी में पिरोया है आपने। पंजाबी की तो जरूरत थी लेकिन प्रेम की अभिव्यक्ति के लिए कहीं कहीं उर्दू शब्दों का प्रयोग ज्यादा हो गया है। छठ को भी कहानी में खूबसूरती से जोड़ा है आपने। कहानी लिखने में लगी आपके रिसर्च की मेहनत कहानी में दिख गयी। घटनाएं, स्थान, दिन सब सच लग रहे थे।
अच्छी लगे मुझे किताब।
बोकारो मुझे हमेशा से एक शांत और मिलनसार शहर लगा है। में इसके दंगे वाले क्रूर अतीत से अपरिचित था। इसके श्याह अतीत को आपने बखूभी उभरा है। कैसे लोगों का समूह उन्मादी भीड़ में बदल जाता है इसका सजीव वर्णन है। आज टिंडर के जमाने मे वो इशारों और जज़्बातों वाला मनु और ऋषि का आठवें दशक वाला प्यार काफी खूबसूरत और पवित्र सा लग रहा है।
शब्दों की माला को एक खूबसूरत कहानी में पिरोया है आपने। पंजाबी की तो जरूरत थी लेकिन प्रेम की अभिव्यक्ति के लिए कहीं कहीं उर्दू शब्दों का प्रयोग ज्यादा हो गया है। छठ को भी कहानी में खूबसूरती से जोड़ा है आपने। कहानी लिखने में लगी आपके रिसर्च की मेहनत कहानी में दिख गयी। घटनाएं, स्थान, दिन सब सच लग रहे थे।
अच्छी लगे मुझे किताब।

4.0 out of 5 stars
खूबसूरत प्रेम कहानी और एक शहर का श्याह अतीत।
Reviewed in India 🇮🇳 on 24 October 2018
बोकारो पे लिखी चौरासी अब जाकर बोकारो पहुँची। प्लांट से घर लौटा तो पाया कि किताब आज डेलिवर्ड हुई है। खाना खाते खाते पढ़ना सुरु किया तो फिर आखिरी पेज पढ़ कर ही चैन आया। पूरी किताब इक फ़िल्म कि तरह आपके दिमाग के पर्दे पर चलने लगती है। लग रहा था जैसे कि इसे फ़िल्म बनाने के लिए ही लिखा गया हो।मुझे तो ऋषि के रूप में विकि कौशल और मनु के रूप में कियारा आडवाणी दिख रहे थे। मध्यांतर से पहले प्रेम की वर्षा और उसके बाद नफ़रत की आँधी।Reviewed in India 🇮🇳 on 24 October 2018
बोकारो मुझे हमेशा से एक शांत और मिलनसार शहर लगा है। में इसके दंगे वाले क्रूर अतीत से अपरिचित था। इसके श्याह अतीत को आपने बखूभी उभरा है। कैसे लोगों का समूह उन्मादी भीड़ में बदल जाता है इसका सजीव वर्णन है। आज टिंडर के जमाने मे वो इशारों और जज़्बातों वाला मनु और ऋषि का आठवें दशक वाला प्यार काफी खूबसूरत और पवित्र सा लग रहा है।
शब्दों की माला को एक खूबसूरत कहानी में पिरोया है आपने। पंजाबी की तो जरूरत थी लेकिन प्रेम की अभिव्यक्ति के लिए कहीं कहीं उर्दू शब्दों का प्रयोग ज्यादा हो गया है। छठ को भी कहानी में खूबसूरती से जोड़ा है आपने। कहानी लिखने में लगी आपके रिसर्च की मेहनत कहानी में दिख गयी। घटनाएं, स्थान, दिन सब सच लग रहे थे।
अच्छी लगे मुझे किताब।
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Reviewed in India 🇮🇳 on 4 September 2022
Verified Purchase
Loved this book.
Superb
Must read
Superb
Must read
Reviewed in India 🇮🇳 on 29 April 2022
Verified Purchase
Book is very beautiful
Top reviews from other countries

S
4.0 out of 5 stars
It's a good read. I liked the book.
Reviewed in the United Kingdom 🇬🇧 on 6 December 2018Verified Purchase
It's a good read. I liked the book. A heart touching love story in the backdrop of the 84's anti-Sikh riots.